बुधवार, 19 अगस्त 2009

मरणदिन मुबारक

हम जिस देश में रहते है वहा अमीरों का मरणदिन तक मनाया जाता है पर गरीबो का जन्मदिन नहीं मनाया जाता है।

9 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

praportion dekhiye hajaron me ek ameer hota hai usme bhee nam wale kitane hote hain to hajaron ka kaise manayenge janam din mehanga padega.

Khushdeep Sehgal ने कहा…

जिंदगी तो बेवफा है, एक दिन ठुकराएगी
मौत महबूबा है, साथ लेकर जाएगी
मरके जीने की अदा जो दुनिया को सिखलाएगा
वो मुकद्दर का सिकंदर, जानेमन कहलाएगा

दिगम्बर नासवा ने कहा…

SACH KAHA HAI AAPNE ..... SHAYAD ISI KO APNI APNI KISMAYT BHI KAHTE HAIN IS DESH MEIN ....

शरद कोकास ने कहा…

क्या कहे गरीबो का जीना भी कोई जीना है -शरद कोकास दुर्ग छ.ग.

सदा ने कहा…

सबसे पहले तो मेरे ब्‍लाग पर आने का बहुत-बहुत धन्‍यवाद, बहुत सही कहा आपने, आभार

संजीव गौतम ने कहा…

आपने मेरी रचनाओं को अपना स्नेह दिया आभारी हूं. शुक्र है कि आप फिरंगी नहीं हैं. अपना ही फोटो लगाइये. आपको पढकर अच्छा लगा.

सर्वत एम० ने कहा…

जन्मदिन आदमियों का मनाया जाता है और गरीब...... आदमी तो माना ही नही जाता आज के युग में. वैसे बन्धु कमाल की रचना कर दी है आपने. और हाँ, क्या आपको किसी इंडियन का चित्र रास नहीं आया अगर खुद को छुपाना ही था.

bhootnath ने कहा…

सवाल ये नहीं है....बल्कि सवाल ये है कि इस देश में क्या गरीब आदमी,आदमी है क्या ??जहां कुत्ते तो आदमी से बेहतर हालत में रहते हों....और गरीब आदमी........!!कुत्तों से भी बदतरीन....वहां आप ऐसी बातें करते हैं....अजी मैं तो कहता हूँ कि पागल हैं आप....!!

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

सही कही

अच्‍छी रही।